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ड्रीमलैंड सिटी के बंधक प्लॉट बेचकर ग्राम पंचायत डोरली छतरपुर क्यों नही कराती विकास कार्य

15 साल पहले प्लॉट बंधक करने पंकज मालू ने किया था एग्रीमेंट
ग्राम पंचायत डोरली छतरपुर में रामदेव बाबा एंड पद्मावती डेवलपर्स के द्वारा ड्रीमलैंड सिटी नाम से कॉलोनी का निर्माण कार्य किया था। जिस समय प्लॉट बेचने का प्रयास किया जा रहा था उस समय कॉलोनाइजर पंकज मालू पिता पूरन चंद मालू निवासी बारापत्थर सिवनी विजय पिता त्रिलोकचंद बरोंदिया निवासी यवतमाल, ज्योति बरोंदिया पति विजय बरोंदिया निवासी यवतमाल, गणेश बी चाडंक पिता बि_ल चांडक निवासी वर्धा एवं गोपाल पिता हरिकिशन चांडक निवासी आर्वी महाराष्ट्र ने बड़े-बड़े वायदे किए थे लेकिन बारिश में हर बार उनके वायदों की पोल खुल जाती है। हाल ही में हुई तेज बारिश में एक बार फिर ड्रीमलैंड सिटी ने स्विमिंग पूल का आकार ले लिया जिसके कारण वहां रहने वाले लोग काफी परेशान थे। बताया जाता है कि ड्रीमलैंड सिटी में पानी भर जाने के बाद ग्राम पंचायत डोरली छतरपुर की सरपंच सहित अन्य पंचों ने पानी खाली कराने का प्रयास भी किया। वैसे इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत को ड्रीमलैंड सिटी के द्वारा बंधक बनाए गए प्लॉट को बेचकर विकास कार्य करा लेना चाहिए ताकि ड्रीम लैण्ड सिटी में रहने वाले लोगों को हो रही परेशानी से छुटकारा मिल सके। सूत्र बताते हैं कि रामदेव बाबा एंड पद्मावती डेवलपर्स बारापत्थर के पार्टनर पंकज मालू पिता पूरनचंद मालू ने ग्राम पंचायत डोरली छतरपुर से 7 जनवरी 2008 में इकरारनामा किया था जिसमें उन्होंने कुल आवासीय कॉलोनी का 25 प्रतिशत प्लॉट ग्राम पंचायत में बंधक रखते हुए उल्लेख किया था कि यदि मेरे द्वारा कॉलोनी के समस्त आंतरिक एवं बाहरी विकास कार्य मापदंडों के अनुरूप पूर्ण नहीं किए जाते हैं तो मेरे द्वारा बंधक रखे प्लाटों को कॉलोनी विकास नियम 13 (1)(2) के अनुसार कार्रवाई करने हेतु ग्राम पंचायत को पूर्ण अधिकार होगा, यह प्लाट किसी अन्य संस्था को बंधक नहीं बनाए जाएंगे। ऐसे में वर्तमान ग्राम पंचायत को वर्ष 2008 में पंकज मालू पिता पूरन चंद मालू के द्वारा किए गए इकरारनामा की कॉपी अवश्य निकालना चाहिए ताकि पता चल सके कि रामदेव बाबा एंड पद्मावती डेवलपर्स के द्वारा किन प्लाटों को बंधक रखा गया था और वर्तमान में उन प्लाटों की स्थिति क्या है।
03 साल में ही कर देना था विकास कार्य
ड्रीमलैंड सिटी बेचने वाले कॉलोनाइजरों ने ना केवल प्लॉट खरीदने वाले लोगों को धोखा दिया बल्कि उन्होंने न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी सिवनी को भी धोखा दिया जिन्होंने विभिन्न शर्तों के आधार पर 18 अक्टूबर 2012 को विकास अनुमति आदेश जारी किया था। बताया जाता है कि विकास अनुमति देते हुए अनुविभागीय अधिकारी सिवनी ने बिंदु क्रमांक 4 में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि मध्य प्रदेश नगर पालिका कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण निर्बंधन तथा शर्ते नियम 1998 के नियम 12 (5 ) के परंतुक अनुसार उक्त अकृषि भूमि पर स्थापित की जाने वाली आवासीय कॉलोनी हेतु नियम अनुसार समस्त बाह्य विकास कार्य 3 वर्ष की कालावधी के भीतर पूर्ण किया जाना होगा। बताया जाता है कि कॉलोनी में प्लाट बेचने के लिए कॉलोनाइजर उन्हें बड़े-बड़े सपने दिखाते हुए प्लाट बेच दिए जहां अब लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। देखना यह है कि बार बार की परेशानी को संज्ञान में लेते हुए ड्रीम लैण्ड सिटी बंधक प्लाटो की नीलामी कब तक शुरू करती है।